झालरापाटन के गिन्दौर वार्ड में मुख्य मार्ग पर सड़क दुर्घटना में गेहूं खेड़ी गांव का रहने वाला श्याम लाल पुत्र छगनलाल डिवाइडर से टकराकर गंभीर रूप से घायल हो गया। प्रारंभिक पड़ताल में पता चला कि मुख्य मार्ग पर बनाए गए गति अवरोधक पर सफेद पट्टी नहीं बनाए जाने और नहीं यहां पर कोई संकेतक होने के कारण एक बाइक सवार श्याम लाल गतिरोधक से असंतुलित होकर डिवाइडर से टकराकर घायल हो गया था। जिसे बाद में उपचार के लिए चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। यह पहला मौका नहीं है जब सड़क पर बने ब्रेकर के कारण कोई घायल हुआ हो बल्कि आए दिन ऐसे हादसे होते रहते हैं। नगर तथा आसपास राष्ट्रीय राजमार्ग, मेगा हाईवे मार्ग और स्टेट हाईवे से लेकर गांव के संपर्क मार्गो तक सड़कों पर जगह-जगह अवैध स्पीड ब्रेकर बने हुए हैं। इनमें से कई जगह बिना इजाजत के और मानकों को धत्ता बताते हुए बनाए गए इन गतिरोधक की वजह से न केवल वाहन चालक परेशान हो रहे हैं बल्कि दुर्घटनाएं भी हो रही है। न तो इन गतिरोधक पर सफेद पट्टी बनाई गई है और न ही संकेत बोर्ड लगाकर सूचना दी गई है। इसके चलते बिल्कुल नजदीक पहुंचने पर ही वाहन चालकों को उनके बारे में जानकारी मिलती है। वाहन की गति धीमी करने के लिए अचानक ब्रेक लगाए जाने से वाहनों के पलटने का अंदेशा भी बना रहता है। नगर में परकोटे के अंदर और बाहर तथा जगह-जगह कॉलोनी में और आसपास के क्षेत्र में सड़कों पर जगह-जगह बनाए गए इन गतिरोधको के चलते वाहन चालकों को कोई खास लाभ नहीं हो रहा है इससे वाहनों की गति धीमी हो जाती है तथा छोटे वाहन इन खड़े गतिरोधको के कारण क्षतिग्रस्त भी हो रहे हैं। साथ ही बार-बार गति परिवर्तन से गाड़ियों में ईंधन की खपत भी अधिक होती है। कई जगह ग्रामीणों ने अपनी मनमर्जी से बिना विभागीय मंजूरी के ही गतिरोधक बना लिए हैं। नहीं गति अवरोधक बनाने में मानकों का कोई ख्याल रखा जाता है। कई जगह तो गतिरोधक इतने ऊंचे बना दिए गए हैं कि छोटे वाहन और कार इनसे रगड़ते हुए निकलते हैं। इन वाहनों को आधे तिरछे करके निकालने पर भी निचला हिस्सा गतिरोधक पर रगड़ खाते हुए निकलता है। तेज गति से वाहन निकालने पर कई बार नीचे वाहनों के एक्सल भी टूट जाते हैं। सबसे अधिक परेशानी प्रसूताओ व घायलों को लाने ले जाने वाले वाहनों की होती है। एंबुलेंस चालकों को गंभीर मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में न केवल अधिक समय लगता है बल्कि बार-बार ब्रेक लगाने से मरीजों को भी परेशानी होती है। वाहन चालकों की शिकायत रहती है कि ज्यादा गतिरोधक होने के कारण न केवल गाड़ियों का संतुलन बिगड़ने से हादसे होते हैं वही ब्रेकरों पर गाड़ियां भी टूटती है जिससे वाहनों को नुकसान होता है। रात के समय होती है अधिक परेशानी। विभिन्न मार्गों पर अवैध रूप से दर्जनों गतिरोधक बने हुए हैं। इन पर न तो सफेद पट्टी दी गई है और नहीं पहले बोर्ड लगाकर इसकी सूचना दी गई है। इसके चलते रात के समय गतिरोधक दिखाई न देने के कारण अधिक सड़क दुर्घटनाएं हो रही है। वाहन चालक जब तक बिल्कुल नजदीक नहीं पहुंच जाएं, उन्हें इनके बारे में पता नहीं चल पाता। आनन फानन मे तेज ब्रेक लगाने से वाहनों का संतुलन बिगड़ने की आशंका बनी रहती है। साथ ही अचानक ब्रेक लगाने से पीछे आ रहे वाहन के टकराने और पीछे बैठे व्यक्ति के गिरने का खतरा बना रहता है। अनचाही जगह पर स्पीड ब्रेकरो से बड़े पैमाने पर सड़क दुर्घटना में वृद्धि होती है।
गतिरोधक बनाने के क्या है नियम-
इंडियन रोड कांग्रेस नियमों के अनुसार राजमार्गों पर रेलवे क्रॉसिंग, दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र, तीखे मोड़, संपर्क मार्ग, पेट्रोल पंप आदि स्थानों पर तय मानक के अनुसार रंबल स्ट्रिप गतिरोधक पटटिया बनाने की अनुमति है। इनमें वाहनों को झटके नहीं लगते हैं और रफ्तार भी कम होती है।
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अवैध ब्रेकरों के कारण आए दिन होती है दुर्घटनाएं
- Manoj Tripathi
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